अमेरिका में ब्याज दरों पर फैसले से आपकी जेब पर कैसे पड़ता है असर, US Fed Policy आने के पहले समझ लें फंडा
US Fed Policy: यूएस फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों पर फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था को करेंसी, इन्वेस्टमेंट और ट्रेड जैसे कई पहलुओं पर प्रभावित करता है. डॉलर के वैल्यूएशन के आगे रुपये के वैल्यू पर सारा खेल होता है. इससे शेयर बाजार में निवेशकों का रुख तो तय ही होता है. आयात-निर्यात पर भी असर पड़ता है.
US Fed Policy: अमेरिका के यूएस फेडरल रिजर्व बैंक (US Federal Reserve Bank) की ब्याज दरों (Interest Rates) पर मीटिंग हो रही है, जिसके बाद मार्च पॉलिसी की घोषणा की जाएगी. शेयर बाजार में बड़े उतार-चढ़ाव के बीच बुधवार की रात Federal Open Market Committee के ब्याज दरों के फैसले पर भारतीय निवेशकों की भी नजर है. हालांकि, बाजार को ऐसे किसी बड़े या चौंकाने वाले फैसले की उम्मीद नहीं है. ऐसा पिछली पॉलिसी के बाद से ही कहा जा रहा है कि मार्च पॉलिसी में भी यूएस का सेंट्रल बैंक ब्याज दरों को एक बार फिर से स्थिर रख सकता है. फेड की ओर से ब्याज दरों में कटौती (US Fed Rate Cut) की उम्मीद और मंद पड़ती जा रही है. खैर, हमारा फोकस हमारा इस पर है कि अमेरिका में ब्याज दरों पर लिए जा रहे फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था और हम-आप जैसे आम आदमी पर कैसे पड़ता है? आइए समझते हैं.
US Fed Policy का भारत पर कैसे पड़ता है असर?
यूएस फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों पर फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था को करेंसी, इन्वेस्टमेंट और ट्रेड जैसे कई पहलुओं पर प्रभावित करता है. डॉलर के वैल्यूएशन के आगे रुपये के वैल्यू पर सारा खेल होता है. इससे शेयर बाजार में निवेशकों का रुख तो तय ही होता है. आयात-निर्यात पर भी असर पड़ता है. साथ ही फेड के रुख को देखते हुए हमारा सेंट्रल बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी अपने ब्याज दरों पर फैसला लेता है, जिससे कि सीधे हमारी जेब पर असर पड़ता है.
कमजोर होता है रुपया
अगर यूएस फेड ब्याज दरों को बढ़ाता है तो इससे इंटरेस्ट रेट हाई जाता है और ये दिखाता है कि महंगाई के चलते अर्थव्यवस्था और बैंकों पर दबाव है. इससे आर्थिक गतिविधियां धीमी पड़ती हैं. इंटरेस्ट रेट बढ़ने से डॉलर की कीमत ऊपर जाती है, और इसके मुकाबले रुपया कमजोर होता है तो इससे एक तो निवेशक भारतीय बाजार से अपना पैसा निकालते हैं और बिकवाली होने से बाजार गिरता है. घरेलू निवेशकों को भी नुकसान होता है. साथ ही भारतीय उत्पाद और सेवाओं के लिए मांग कम होती है. भारत निर्यात से ज्यादा आयात पर निर्भर रहता है, ऐसे में भारतीय रुपया के कमजोर होने पर आयात भी महंगा हो जाता है. रुपया कमजोर होने से विदेशी निवेशक देश से पैसा निकालने लगते हैं.
आपका लोन हो जाता है महंगा
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अगर फेड रेट बढ़ाता है तो आमतौर पर महंगाई के सेंटीमेंट को देखते हुए आरबीआई भी रेट बढ़ाता है, जिससे कि बैंकों की ओर से आपके होम लोन और MCLR लिंक्ड प्रोडक्ट्स को महंगा कर दिया जाता है. इससे आपके होम लोन पर किस्तें महंगी हो जाती हैं. और नया होम लोन लेना भी महंगा होता है.
रेट कट की उम्मीदें
पहले ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि फेडरल रिजर्व बैंक की ओर से जून पॉलिसी में रेट कट की घोषणा की जा सकती है. हालांकि, महंगाई पर अभी भी स्थिति साफ नहीं है, जिसके चलते अभी भी बहुत से मार्केट एक्सपर्ट इसपर बहुत आश्वस्त नहीं हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि यूएस फेड रेट कट को अगले कुछ और महीनों तक टाल सकता है. लेकिन अगर रेट कट होता है तो इसका भारतीय अर्थव्यस्था पर क्या होगा असर?
US Fed Policy में रेट कट से क्या होगा असर?
यूएस फेड की ओर से रेट कट से बाजार को बूस्ट मिलता है, क्योंकि इससे भारत और यूएस के ब्याज दरों में बड़ा फर्क आ जाता है. इससे निवेशक भारतीय बाजार की ओर आकर्षित होते हैं, जिससे विदेशी पैसा आने से बाजार मजबूत होता है. ब्याज दर कम होने के लिए डॉलर की उपलब्धता बढ़ती है, जिससे कि रुपया मजबूत होता है. इससे आयात भी सस्ता होता है. फेड रेट कट से ग्लोबल इकोनॉमी के लिए पॉजिटिव संकेत मिलते हैं और डिमांड में भी तेजी आती है.
रेट कट के बाद सेंटीमेंट सुधरने से आरबीआई भी रेट कट का फैसला ले सकता है, जिससे कि सीधे आपका होम लोन सस्ता होगा. हालांकि, रेट रिवीजन के बाद ये पूरी तरह बैंकों पर निर्भर करता है कि वो रेट कट का पूरा फायदा आपको भी पास करें, जोकि अकसर बैंक नहीं करते. हालांकि, ऐसी स्थिति में लोन के थोड़ा सस्ता होने की उम्मीद तो लगा ही सकते हैं.
05:25 PM IST